Menu
blogid : 20079 postid : 1146998

बड़बोले ओवैशी की मासूम सोच

social
social
  • 50 Posts
  • 141 Comments

गंजे व्यक्ति के नाखून नहीं होते यह मात्र कहावत नहीं चरितार्थ विशेषता भी रखता है, यदि गंजे के नाखून होते तो वह अपने सिर पर खुजाने से पड़ने वाली खरोच की कुंठा निश्चित तौर पर व्यवहारिक रूप से प्रयोग लाता और दूसरों के चेहरे सहित वस्त्रों को नुकसान पहुचाने की चेष्ठा अवश्य करता. किन्तु राजनीति में धार्मिक भावनाये भडकाकर कुर्सी पा लेने के बाद ओवैशी जैसी हस्ती प्रतिपल अन्य लोगों को नाखून मारकर घायल करने का प्रयास कर रहे हैं, यदि ओवैशी गंजा हो जाय अर्थात देश की सत्ता का प्रभार मिल जाये तो निश्चित तौर पर यह अपने कुत्सित विचारों के नाखून से समस्त देश को पीड़ा पहुँचायेगा, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है अर्थात ओवैशी के पास देश का प्रभार नहीं है और न ऐसा होने वाला है कि ओवैशी जैसे साधारण नेता जो धर्म को हथियार बनाकर देश में अशांति फ़ैलाने का विचार रखते हैं वह अपने मानसिक मल से समस्त देश को दूषित कर सके. फिलहाल जैसा कि ओवैशी के द्वारा उद्गारित टिप्पडी ‘कोई गले पर छुरी रख दे तब भी भारत माता की जय नहीं बोलूँगा’, के बाद देश के मुस्लिमो ने जिस प्रकार प्रतिकार किया ओवैशी के इस वक्तव्य का वह सराहनीय है. ओवैशी को समझ आई होगी कि अभी तक उसके द्वारा दो से तीन लाख की भीड़ एकत्र करके मुस्लिमो के शोषण की बात कहकर धार्मिक रूप से भडकाना, इस प्रकार उसका देश विभाजन का स्वप्न साकार होने के आसार अभी परिलक्षित नहीं हो रहे हैं. अब क्या किया जाये ऐसा कि देश की जनता आपसी एकता और देश के संविधान को ताक पर रखकर उसके गलत इरादों का साथ दे, निश्चित ही वह नयी योजना के बारे में सोच रहा होगा कि जिस प्रकार पाकिस्तान में हाफिज सईद के उकसाने पर लोग मानव बम बनने को तैयार हो जाते हैं उस प्रकार की सफलता क्यूँ नहीं मिल रही है उसे जबकि कलकत्ता रैली हो या फिर महाराष्ट्र रैली, आंध्र प्रदेश से लेकर केरल, हैदराबाद सहित सभी रैलियों में केवल धार्मिक हथियार चलाया गया उसके बाद लोग कैसे वह भी अपने ही धर्म के लोग उसकी बातो को गलत कह रहे हैं. शर्म तो आई होगी ओवैशी को जब उसके आकाओ ने कहा होगा कि तुम तो कह रहे थे देश मे मुस्लिमो को तुमने बेवकूफ बना लिया है अब वह देश की शांति में आतंक का तांडव मचाने के लिए तैयार हैं फिर क्या हुआ, जब तुम्हारे ही कौम के लोग तुम्हारे उपर थूकने को तैयार है. ओवैशी का एक एक पल बड़ी दयनीय स्थिति में गुजर रहा होगा कि भारत विभाजन का नया ठेकेदार बनने से पहले ही अपने ही लोगों ने आइना दिखा दिया कि देश हमारा है और यहाँ की शांति, एकता, अखंडता के रखवाले हम सब है और हम जाति धर्म से पहले एक भारतीय है जो देश का अपमान नहीं सह सकते और न ही किसी को करने देंगे. बड़बोले ओवैशी की ग़लतफ़हमी का भी जवाब नहीं कि रैली में दो तीन लाख लोगों की भीड़ एकत्र हो जाने से और ऐसे धर्म से भटके हुए लोगों के वोट से हैदराबाद में सांसद की कुर्सी पर बैठ जाने से देश विभाजन जैसी मासूम सोच को पूर्ण नहीं किया जा सकता.

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh