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हम भी कभी स्वतंत्र थे

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भारत राष्ट्र में द्वेषपूर्ण, घृणात्मक, स्वार्थ और लोलुपता युक्त व्यवहार व्यापक स्तर पर अत्यधिक प्रसिद्धि की तरफ अग्रसर है। विश्व स्तर पर भारत की छवि आपसी असंतोष, कटुता और अज्ञानता का संदेश दे रहा है जिसका परिणाम सदैव की भॉति किसी बाहरी विदेशी ताकत को आमंत्रण देना है और यह अवसर दिया जा चुका है तभी ईराक और सीरिया को नष्ट करने वाले आतंकवादी संगठन आई०एस०आई०एस० ने वर्ष 2020 तक चीन, यूरोप, दक्षिण अफ्रीका सहित भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की योजना पर मुहर लगायी गयी है।
यह कटु सत्य है कि जब भी आपसी विवाद उत्पन्न होता है उसका लाभ दूर बैठे किसी शातिर तीसरे के द्वारा ले लिया जाता है, यह जानते हुये भी हमारा शिक्षित भारतीय समाज आपसी मतभेद करते हुये बाहरी शक्तियों को आमंत्रण दे बैठा, जबकि पहले से ही भारत का परम शत्रु पाकिस्तान यहॉ भारत में खुशहाली नही देखना चाहता ऐसे में वह अपनी ताकत बढ़ाते हुये आईएसआईएस आतंकियों को सुविधायें उपलब्ध कराते हुये भारत में प्रवेश भी कराने में सफल हो जायेगा जैसा कि विगत समय में पाकिस्तान का चेहरा और कृत्य सभी के सामने आता रहा है। उन्हें विश्वास है भारत के जयचन्दों और मीरजाफर जैसे चरित्र में छिपे गद्दारों पर कि वह अपना घर जलाने के लिये पाकिस्तान को खुद माचिस उपलब्ध करायेंगे फिर क्या उनका रास्ता साफ हो गया अपने सम्बन्धी आतंकियों को भारत तक लाने का, यह बात और है कि सॉप को निमंत्रण देकर मेढक स्वयं भी सुरक्षित नही रह सकता किन्तु स्वभाव से पीड़ित पाकिस्तान स्वयं बर्बाद हो जायेगा इस अज्ञानता से दूर रहकर आईएसआईएस का पूर्ण सहयोग करेगा।
यह सब जानते हुये भी क्या भारत में कोई बदलाव आयेगा ? सम्भावना नहींदिखाई देती। कारण बड़ा स्पष्ट है कि कौन सा सम्मानित व्यक्ति किस आतंकी का समर्थक निकल जाये पता नहीं और वह अपने साथ अन्य गद्दारों को भी लालच देकर अपने साथ कर लेगा और अन्दर बैठकर शत्रुओ के लिये मार्ग बनायेगा। पिछले दिनों मुम्बई बम काण्ड आतंकी याकूब मेमन की फॉसी को लेकर उभर कर आये कुछ छिपे आतंक परस्तों का चेहरा भी देखने को मिला और उसके बाद कैसे एक आतंकी को संगठित होकर शहीद का दर्जा दिलाने का प्रयास किया गया किसी को भूलना नही चाहिये, किन्तु विवशता तो यही है कि हमें भूलने की बहुत बुरी बीमारी है लेकिन हम अपने स्वार्थ की बातें नहीं भूलते, किसी को नीचा दिखाना नहीं भूलते, किसी भी धर्म का मजाक उड़ाना और उस पर टिप्पणी करना नहीं भूलते, हिन्दुत्व के नाम पर जातिवाद नही भूलते, स्वयं अपने धर्म को नष्ट करना नहीं भूलते दूसरे के धर्मो को अपमानित करना नही भूलते, राष्ट्र में रहकर राष्ट्र विरोधी नारा लगाना नहीं भूलते, कश्मीर पर पाकिस्तान का झंडा लहराना और पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाना नही भूलते, मन्दिर में पत्थर फेंकना नहीं भूलते, मस्जिद पर संगठित होकर अराजकता फैलाना नही भूलते, बस भूल जाते हैं तो आपसी भाईचारा, सौहार्द, एकता, अखण्डता, सर्वधर्म की समानता और राष्ट्र गौरव, जिसका परिणाम आईएसआईएस की योजना भारत में घुसकर नरसंहार को बढ़ावा देना है, हम यह नही समझ पा रहे कि शत्रु किसी का हितैषी नही हो सकता चाहे वह किसी भी धर्म जाति का हो, गेहूं के साथ घुन को पिसना ही पड़ता है, जागरूक होना आवश्यक है अभी समय है स्वयं के आचार विचार में बदलाव लाने का किन्तु यह अवसर आगे मिलता रहेगा यह आशा रखना मूर्खता को प्रदर्शित करेगा, यदि समय रहते व्यापक सुधर और जागरूकता नहीं विस्तृत हो सकी तो निश्चित है सभी को परिणाम भुगतना, जिस प्रकार भारत का भविष्य अंधकार की तरफ बढ़ चुका है उसे डूबने से बचा पाना सम्भव नही होगा और एक बार फिर गुलाम बनकर असहनीय जीवन जीने के लिये सभी को मजबूर होना पड़ेगा तब मात्र यह याद रह जायेगा हम भी कभी स्वतंत्र थे।

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