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जय मॉ भारती करूं आरती तुझको शीश नमन।
रोम-रोम तुझको अर्पण कर दूं अपना तन मन।।
प्रथम नमन माता जिनकी बस रह गयी याद,
गॉधी सुभाष टैगोर तिलक भगत सिह आजाद,
जय राणा प्रताप जय राजगुरू सुखदेव,
मंगल पाण्डेय वीर शिवाजी जयते सत्यमेव,
सावरकर बिस्मिल अशफाक अर्पित पुृष्प सुमन,
जय मॉ भारती करूं आरती तुझको शीश नमन।
रोम-रोम तुझको अर्पण कर दूं अपना तन मन।।
छोटी सी चिंगारी पल भर में आग लगाती,
अर्थहीन बातें भी पल में सुर्खी बन जाती,
नही जागते लोग यहॉ क्यूं भ्रमित रहे हरदम,
देख पराया सुख क्यूं आंखे हो जाती है नम,
मॉ भटक रहे हम सब आकर करो मार्गदर्शन,
जय मॉ भारती करूं आरती तुझको शीश नमन।
रोम-रोम तुझको अर्पण कर दूं अपना तन मन।।
दक्षिण में मचलाता सागर तेरे चरण पखारता,
खड़ा हिमालय उत्तर में दिन रात है वह जागता,
घाटी में कितने वीर पुत्र तेरी सेवा में रहे सजग,
सीमा पर दुश्मन से टकराने को सदा तैयार सब,
होते शहीद सैनिक जब भी भर अाते सदा नयन,
जय मॉ भारती करूं आरती तुझको शीश नमन।
रोम-रोम तुझको अर्पण कर दूं अपना तन मन।।
कभी राम यहॉ कभी बुद्ध कभी कृष्ण भगवान,
कितने अवतार यहॉ प्रकटे रखने को तेरा मान,
धरती को देने स्वर्ग रूप कल्याणी तीर्थधाम,
प्रतिदिन बंदन आरती मन्दिर में सुबह शाम,
धरती स्वर्ग है हरिद्वार अयोध्या काशी वृन्दावन,
जय मॉ भारती करूं आरती तुझको शीश नमन।
रोम-रोम तुझको अर्पण कर दूं अपना तन मन।।
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